बिहार में सरकारी डॉक्‍टरों की ये स्थिति डरावनी है

बिहार में सरकारी डॉक्‍टरों की ये स्थिति डरावनी है

सेहतराग टीम

पिछले कुछ महीने से बिहार में मस्तिष्‍क ज्‍वर के कारण डेढ़ सौ से अधिक बच्‍चों की मौत और लू के कारण कुछ जिलों में 100 से अधिक मौतों के बाद अब राज्‍य की सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवा को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। खास बात ये है कि ये खुलासा खुद राज्‍य सरकार ने किया है। राज्‍य सरकार ने बताया है कि राज्‍य में सरकारी डॉक्‍टरों के 57 फीसदी पद खाली पड़े हैं यानी राज्‍य की सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवा डॉक्‍टरों की गंभीर कमी का सामना कर रही है।

राज्‍य की एनडीए सरकार ने राज्‍य में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को लेकर ये चौंकाने वाला खुलासा सुप्रीम कोर्ट के सामने किया है। सरकार ने एक हलफनामा देकर उच्चतम न्यायालय को बताया है कि राज्‍य में सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य केंद्रों में स्वीकृत 12,206 पदों के लिए सिर्फ 5,205 डॉक्टर ही तैनात हैं। 

यही नहीं डॉक्‍टरों से भी खराब स्थिति नर्सिंग स्‍टाफ की है। सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में स्वीकृत क्षमता 19,155 के मुकाबले सिर्फ 5,634 नर्सें ही तैनात हैं। 

अदालत ने 24 जून को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं, पोषण और साफसफाई को लेकर एक हफ्ते में मौजूदा स्थिति से उसे अवगत कराए। मुजफ्फरपुर में मस्तिष्क ज्वर से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद अदालत ने यह निर्देश दिया था। 

इस बीमारी के संदर्भ में राज्य सरकार ने कहा कि कुल 824 मामले सामने आएं हैं और कुल 157 मौत हुई हैं। इसमें हालांकि कहा गया कि यह नहीं पता कि मस्तिष्क ज्वर से हुई मौत के 215 मामलों में से 24 इस बीमारी से हुई हैं या नहीं। बिहार सरकार ने कहा कि राज्य में डॉक्टरों और नर्सों के क्रमश: 57 और 71 फीसद पद खाली हैं। 

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